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अंग और ऊतक दान
अंग शरीर का एक हिस्सा है जो एक विशिष्ट प्रकार का कार्य करता है: जैसे आपका हृदय, फेफड़े, गुर्दे, यकृत आदि।
इन अंगों का दान किया जा सकता हैं:यकृत, गुर्दे, अग्न्याशय, हृदय, फेफड़े, आंत।
ऊतक एक कोशिका समूह है जो मानव शरीर में एक विशेष कार्य करता है। इसके उदाहरण हड्डी, त्वचा, आंख की कॉर्निया, हृदय वाल्व, रक्त वाहिकाएं, नस और कण्डरा आदि हैं।
इन ऊतकों का दान किया जा सकता हैं:कॉर्निया, हड्डी, त्वचा, हृदय वाल्व, रक्त वाहिकाएं, नस और कण्डरा आदि।
अंग दान एक व्यक्ति को बीमारी के अंतिम चरण में और अंग प्रत्यारोपण की जरूरत होने पर एक अंग का उपहार देना है।
अंग दान के दो प्रकार के होते हैं: - i) जीवित दाता द्वारा अंग दान : अपने जीवन के दौरान एक व्यक्ति एक गुर्दा दान कर सकता है (उसका दूसरा गुर्दा दाता के लिए पर्याप्त रूप से शरीर के कार्यों को बनाए रखने में सक्षम होना चाहिए), अग्न्याशय का हिस्साक (अग्न्याशय का आधा हिस्सा अग्नाशय के कार्यों को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है) यकृत का हिस्साो (यकृत के हिस्से प्राप्तकर्ता और दाता दोनों में समय की अवधि के बाद पुन: बन जाएंगे)। ii) मृतक दाता अंग दान: एक व्यक्ति (मस्तिष्क / हृदय) की मौत के बाद कई अंगों और ऊतकों का दान कर सकते हैं। उसके अंग किसी अन्यम व्य क्ति के शरीर में जीवित बन रहते हैं।
अंग दान के लिए आयु सीमा अलग अलग है, जो इस पर निर्भर करती है कि क्याव जीवित व्य क्ति द्वारा दान किया जा रहा है या मृत व्यकक्ति द्वारा, उदाहरण के लिए जीवित व्यिक्ति द्वारा दान हेतु व्य्क्ति की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और अधिकांश अंगों के लिए निर्णय लेने वाला कारक व्यदक्ति की शारीरिक स्थिति है, उसकी उम्र नहीं। विशेषज्ञ स्वांस्य्णत देखभाल व्येवसायिक व्यनक्ति तय करते हैं कि हर मामले के अनुसार कौन सा अंग उपयुक्त् है। लोगों में उनके 70 और 80 वर्ष के दौरान अंगों और ऊतकों को दुनिया भर में सफलता पूर्वक प्रत्याेरोपित किया गाय है। ऊतकों और आंखों के मामले में आम तौर पर उम्र महत्वा नहीं रखती। एक मृत दाता आम तौर पर निम्नयलिखित आयु सीमा के अंदर अंगों और ऊतकों का दान कर सकता है : गुर्दे, यकृत : 70 वर्ष तक
हृदय, फेफड़े : 50 वर्ष तक
अग्न्याशय, आंत : 60-65 वर्ष तक
कॉर्निया, त्वचा : 100 वर्ष तक
हृदय वाल्व : 50 वर्ष तकहड्डी : 70 वर्ष तक
जीवित दाता : एक व्यरक्ति जिसकी उम्र 18 साल से कम नहीं है, जो स्वे च्छाि से अपने अंग और / या ऊतक निकालने का अधिकार अपने जीवन काल के दौरान चिकित्सी य प्रयोजनों के लिए प्रचलित चिकित्सात प्रथाओं के अनुसार देता है।
मृतक दाता : कोई भी व्यअक्ति, चाहे उसकी उम्र, नस्लं लिंग कोई भी हो वह अपनी मृत्युअ (मस्तिष्कद / हृदय) के बाद अंग और ऊतक दाता बन सकता है। मृत शरीर से इसके लिए उसके निकट संबंधियों या कानूनी तौर पर उसके साथ उस संबंध रखने वाले व्यकक्ति की सहमति आवश्यंक होती है। यदि मृत दाता की उम्र 18 साल से कम है तो माता पिता में से किसी एक या माता पिता द्वारा अधिकृत नजदीकी रिश्तेउदार की सहमति अनिवार्य है। दान देने की चिकित्साप उपयुक्तरता का निर्धारण मृत्युा के समय किया जाता है।
आप अधिकृत अंग और ऊतक दान प्रपत्र (फॉर्म -7 टीएचओए के अनुसार) में अपनी दाता बनने की इच्छा व्य्क्त( कर सकते हैं। आप हमारी वेबसाइटwww.notto.nic.in पर साइन इन द्वारा अपने अंगों के दान की शपथ ले सकते हैं और पंजीकरण करा सकते हैं या स्वेयं हमारी वेबसाइट से प्रपत्र 7 डाउनलोड करते हुए अपना ऑफ लाइन पंजीकरण करा सकते हैं। आपसे अनुरोध है कि प्रपत्र 7 भरें और एनओटीटीओ के नीचे दिए गए पते पर हस्ताआक्षरित प्रति भेजें :
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन,
चौथा तल, एनआईओपी बिल्डिंग, सफदरजंग अस्पताल परिसर,
नई दिल्ली-110029
हां, यह स्वास्थ्य पेशेवरों और आपके परिवार के लिए मददगार होगा।
नहीं, यदि आपने पहले से ही एक संगठन के साथ प्रतिज्ञा की है और एक दाता कार्ड प्राप्त किया है, तो आपको किसी भी अन्य संगठन के साथ दर्ज करने की जरूरत नहीं है।
हां , आप प्रतिज्ञा कर सकते हैं किंतु आपको अपने जीवन के किसी बहुत नजदीकी व्यिक्ति को, लंबे समय रहे दोस्त् या घनिष्ठप सहकर्मी को सूचित करना चाहिए कि आपने यह प्रतिज्ञा लेने का निर्णय लिया है। अपनी दान देने की इच्छान पूरी करने के लिए स्वािस्य्े देखभाल कर्मी किसी ऐसे व्यणक्ति से बात करेंगे जो आपकी मृत्यु के समय सहमति के लिए आपके पास होंगे।
अंग या ऊतक को दान करने से आपको किसी व्यनक्ति के जीवन को दोबारा जीने का ऐसा अवसर देने का लाभ मिलता है जिसकी कोई तुलना नहीं है। आपका दान न केवल एक व्यरक्ति या उसके परिवार के जीवन पर प्रभाव डालेगा, बल्कि कुल मिलाकर समाज को भी इससे सहायता मिलेगी।
हां, आप NOTTO कार्यालय में कॉल द्वारा या लिखित रूप से या NOTTO की वेबसाइट www.notto.nic.in के जरिए अपनी प्रतिज्ञा बदल सकते हैं और आपके एकाउंट में लॉग इन द्वारा प्रतिज्ञा का विकल्प बंद कर सकते हैं। आपके परिवार को भी बताएं कि आपने अंग दान करने की प्रतिज्ञा के बारे में अपना मन बदल दिया है।
नहीं, हमारे बड़े धर्मों में किसी में भी अंग और ऊतकों के दान पर कोई आपत्ति नहीं लगाई गई है, बल्कि ये इस पवित्र कार्य को प्रोत्सा हन और समर्थन देते हैं। यदि आपको कोई शंका है तो आप अपने आध्याबत्मिक गुरू, धार्मिक नेता या सलाहकार से चर्चा कर सकते हैं।
भारत में अंगों के विफल हो जाने की बड़ी संख्यार के कारण ऊतक और अंग प्रत्याकरोपण की जरूरत बहुत अधिक है। आवश्य क अंगों के लिए कोई संगठित आंकड़े उपलब्धग नहीं हैं, और यह संख्याब केवल अनुमान पर आधारित है। हर वर्ष, व्य़क्तियों की निम्नंलिखित संख्या को बताए गए अंग के अनुसार अंग / ऊतक प्रत्या रोपण की जरूरत होती है :
गुर्दे 2,50,000
यकृत 50,000
हृदय 50,000
कॉर्निया 1,00,000
नहीं, कुछ ही लोग उन परिस्थितियों में मरते हैं जहां वे अपने अंगों का दान करने में सक्षम हो सकें। यही कारण है कि हमें अंग दान करने और संभावित दाता के रूप में अपना पंजीकरण कराने की प्रतिज्ञा लेने वाले लोगों की जरूरत है।
हां, सभी संभावित दाताओं से रक्ता लिया जाता है और इसमें किसी संचारी रोग और हिपेटाइटिस जैसे वायरस की छानबीन के लिए इनकी जांच की जाती है। संभावित दाता के परिवार को बताया जाता है कि यह प्रक्रिया आवश्याक है।
हां, अधिकांश मामलों में आप दाता हो सकते हैं। एक ऐसी चिकित्साक परिस्थिति व्यघक्ति को अनिवार्य तौर पर अंग या ऊतक दाता बनने से नहीं रोकती है। यह निर्णय कि क्याघ कुछ अंग या सभी अंग या ऊतक प्रत्याकरोपण के लिए उचित हैं, इसका निर्णय आपके पिछले चिकित्साा विवरण को विचार में लेकर स्वा‍स्य्लि देखभाल व्यानवसायिक कार्मिक द्वारा लिया जाता है।बहुत कम मामलों में हिपेटाइटिस – सी वाले दाताओं के अंगों को समान परिस्थितियों वाले लोगों की सहायता में इस्तेइमाल किया गया है। इसका इस्तेसमाल केवल तभी किया जाता है जब दोनों व्यसक्तियों में यह स्थिति होती है। सभी दाताओं को संक्रमण से रोकथाम के लिए बचाव के सघन उपाय करने चाहिए।
हां, इसके बारे में निर्णय कि कुछ या सभी अंग या ऊतक प्रत्याकरोपण के लिए उपयुक्त हैं, इसका निर्णय आपके पिछले चिकित्साि विवरण को विचार में लेकर हमेशा किसी विशेषज्ञ द्वारा ही किया जाएगा। इसके विशिष्टि कारण हो सकते हैं कि रक्त दान करना संभव क्यों नहीं है, जैसे खून की कमी होना या रक्तष आधान या पिछले दिनों में हिपेटाइटिस का प्रभाव या ऐसे कोई अन्य कारण जिनसे आप अपनेस्‍वास्‍थ्‍य के कारण उस वक्त रक्तं दान नहीं कर सके – कभी कभार एक सरल स्थिति जैसे जुकाम या आप द्वारा ली जाने वाली दवा के कारण आप रक्तक दान नहीं कर सकते।
चिकित्सकीय प्रयोजनों के लिए अंग दान मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (टीएचओए 1994) के तहत कवर किया जाता है। पूरे शरीर के दान को शारीरिक रचना अधिनियम 1984 द्वारा कवर किया जाता है। अंग और ऊतक प्रत्याररोपण को अन्यक लोगों के लिए जीवन देने के कार्य के रूप में परिभाषित किया जाता है जो अंतिम चरण पर अंग के विफल रहने से पीडित जरूरत मंद लोगों को उसके अंग मृत्युह के बाद लगाए जाते हैं। शरीर का दान चिकित्साद अनुसंधान और शिक्षा के लिए मौत के बाद व्यसक्ति के शरीर को देने का कार्य है। जो लोग मृत शरीर का दान करते हैं, वे शरीर रचना वैज्ञानिकों और चिकित्सा शिक्षकों द्वारा पूरी शारीरिक संरचना सिखाने का एक प्रधान साधन बने रहते हैं।
नहीं, यदि अंगों का दान किया गया है या पोस्टि मॉर्टम जांच कराई गई है तो शरीर को अध्याजपन के प्रयोजन हेतु स्वीकार नहीं किया जाता है। जबकि, यदि केवल कोर्निया को दान किया जाता है, तो शरीर को अनुसंधान के लिए छोड़ा जा सकता है।
आप ऐसे मदद कर सकते हैं: • एक दाता बनने और दूसरों की जान बचाने के लिए आप अपने निर्णय के बारे में अपने परिवार से बात कर सकते हैं।
• लोगों को कार्य स्थकल पर, अपने समुदाय, अपने पूजा के स्थ,ल पर और अपने नागरिक संगठनों में प्रेरणा देकर दान का प्रोत्साकहन दे सकते हैं।
अंग और ऊतक प्रत्यारोपण
अप्रत्यातरोपण एक व्यअक्ति से एक अंग को सर्जरी द्वारा निकालकर दूसरे व्ययक्ति में लगाना है। प्रत्यातरोपण की आवश्यवकता तब पड़ती है जब इसे ग्रहण करने वाले व्यदक्ति का वह अंग काम नहीं करता है या किसी चोट अथवा बीमारी के कारण क्षति ग्रस्तस हो जाता है।
अंतिम चरण के कुछ ऐसे रोग हैं जिन्हें प्रत्याीरोपण से ठीक किया जा सकता है : रोग- अंग
दिल का दौरा- हृदय
फेफड़े की टर्मिनल बीमारी -फेफड़े
गुर्दे की विफलता -गुर्दे
यकृत की विफलता -यकृत
मधुमेह- अग्न्याशय
कॉर्नियल अंधापन- आंखें
हृदय वाल्वुलर रोग- हृदय वाल्व
गंभीर जलन- त्वचा
प्रत्यारोपण समन्वयक और पंजीकृत चिकित्सक उपचार के प्रत्यारोपण की प्रक्रिया के बारे में आपको समझाएंगे।
प्रत्यारोपण समन्वयकका अर्थ है अस्पनताल द्वारा मानव अंग या ऊतक या दोनों के प्रत्यासरोपण या इन्हेंप निकालने से संबंधित सभी मामलों का समन्वहय करने के लिए अस्प ताल द्वारा नियुक्ते व्यिक्ति, जो मानव अंग निकालने के लिए प्राधिकरण की सहायता करते हैं। जबकि इनका कार्य अधिकांशत: मृत अंग दान से संबंधित है, ये जीवित अंग दान के लिए भी जिम्मेनदार हैं। मानव अंग प्रत्या रोपण के वर्तमान अधिनियम में संकल्प ना की गई है कि प्रत्याकरोपण गतिविधि करने वाले प्रत्येयक अस्पनताल, चाहे यहां पुन: प्राप्ति की जाती हो या अंग प्रत्याकरोपण किया जाता हो, उस केंद्र को अस्प ताल में अधिनियम के तहत प्रत्याैरोपण हेतु पंजीकृत कराने से पहले वहां एक प्रत्या रोपण समन्व यक होना अनिवार्य है। प्रत्या्रोपण समन्वृयक अंग दान और प्रत्या्रोपण में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
एक प्रत्याहरोपण समन्वरयक को शोकाकुल परिवार को सांत्व ना देनी होती है और व्ययक्ति की आंखें दान करने के लिए तथा बाद में ठोस अंग दान के लिए संपर्क करना होता है।यदि परिवार अंग देने के लिए सहमत होता है तो समन्वएयक द्वारा नोडल अधिकारी को जानकारी दी जाती है तथा आईसीयू कर्मचारियों के साथ रोगी को वेंटिलेटर पर रखने और अंग प्राप्ति के लिए व्यतवस्था का समन्वेय करने की जरूरत होती है। समन्व्यक को यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी कागजी कार्रवाई सही तरीके से की जाती है और परिवार को जल्दी् से जल्दी शरीर अंतिम क्रिया के लिए सौंप दिया जाता है।
कुछ वर्ष पहले तक, दाता और ग्राही दोनों के लिए ही प्रत्याकरोपण की लागत को बीमा की अधिकांश कंपनियों द्वारा कवर नहीं किया जाता था। अब इन दिनों कुछ बीमा कंपनियां प्रत्या रोपण से संबंधित खर्च को कवर करती हैं। यह बेहतर होगा कि आप बीमा कराते समय इसे सुनिश्चित कर लें।
हां, रोगी को प्रत्याररोपण के लिए फिट होना चाहिए और प्रत्याारोपण के लिए रोगी की फिटनेस का आकलन करने के लिए मानदण्डोंय में उम्र एक बिंदु है।
एक अंग प्राप्त करने के लिए इंतज़ार करने वाले लोगों की एक लंबी सूची है।
एक रोगी पंजीकृत प्रत्याारोपण अस्पइताल के माध्यसम से प्रतीक्षा सूची में शामिल होने का पंजीकरण करा सकता है। अस्पीताल में इलाज करने वाले डॉक्‍टर मूल्यांीकन करेंगे (चिकित्सार जानकारी, स्वापस्य्ें की मौजूदा स्थिति और अन्या कारकों के आधार पर) और निर्णय लेंगे कि क्याा रोगी को प्रत्यांरोपण की जरूरत है वह सूची में दिए गए मानदण्डो पूरे करता है। जैसे कि गुर्दा प्रत्या रोपण के लिए, रक्तप समूह के अलावा मुख्ये मानदण्ड वह समय है जब से रोगी नियमित रूप से डायालिसिस कराता है। इसी प्रकार अन्यू अंगों के लिए मानदण्डद पिछली चिकित्सा् जानकारी, स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति, और अन्य कारकों पर आधारित होते हैं।
प्रत्ये क रोगी जिसमें अंग की विफलता का अंतिम चरण विकसित हो चुका है, वह अंग प्रत्या रोपण के लिए फिट नहीं होता है। बुनियादी सिद्धांत यह है कि रोगी की छानबीन अंतिम चरण की अंग विफलता विकसित होने के लिए चिकित्सा आधार (चिकित्सा का इतिहास, स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति, और अन्य कारकों के आधार पर) पर की जानी चाहिए। आपका इलाज करने वाले डॉक्ट र यह तय करेंगे कि क्याा आप प्रत्या रोपण के लिए चिकित्साक की दृष्टि से फिट हैं और प्रतीक्षा सूची में रखने से पहले अन्यक मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा।
जब आपको राष्ट्री य अंग प्रत्याारोपण प्रतीक्षा सूची में रखा जाता है तो आपको उसी दिन भी अंग मिल सकता है या आपको कई सालों तक इंतजार करना पड़ सकता है। आपको दाता के साथ मिलान करने, आपकी बीमारी की स्थिति और आपके स्थाैनीय क्षेत्र में प्रतीक्षारत रोगियों की संख्या की तुलना में उपलब्धी दाताओं की संख्यास इसे प्रभावित करने वाले कारक हैं।
प्रत्यारोपण के लिए मांग और आपूर्ति के बीच भारी असमानता है। प्रत्यामरोपण के लिए उपलब्धअ अंगों की संख्याल की तुलना में विभिन्नअ अंगों की आवश्यमकता वाले रोगियों की संख्यां अधिक है। यही कारण है कि अंग दान के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए तत्काल आवश्यकता है। अधिक से अधिक लोग जब अंग दान करने की प्रतिज्ञा करेंगे तब यह प्रतीक्षा सूची समाप्त् होगी।
जब प्रत्यारोपण अस्पेताल में एक व्‍यक्ति का नाम प्रतीक्षा सूची में आता है तो इसे नामों के समूह में रखा जाता है। जब कोई मृतक अंग दाता उपलब्ध हो जाता है तो उस दाता के साथ समूह में मौजूद सभी रोगियों की तुलना की जाती है। कारक जैसे चिकित्सा तात्कालिकता, प्रतीक्षा सूची में लगने वाला समय, अंग का आकार, रक्तत समूह और आनुवंशिक बनावट पर विचार किया जाता है।
इसकी कोई समय सीमा नहीं है कि एक व्यीक्ति को अपने लिए एक अंग हेतु कितने समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। यह उसकी चिकित्सा परिस्थिति और उस शहर या राज्यग में अंग के उपलब्धक होने की संख्यास पर निर्भर करता हैा
इस प्रश्न का उत्तर इलाज करने वाले डॉक्टलर द्वारा चिकित्सान स्थिति और अंग की क्षति के चरण के आधार पर दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए गुर्दे की विफलता के एक मामले में, डायालिसिस एक विकल्पिक उपचार है और गुर्दे के विफल होने पर आम तौर पर रोगी को प्रत्यािरोपण की आवश्याकता आपातकालीन स्थिति नहीं होती है। साथ ही दिल का दौरा पड़ने वाले रोगी के लिए, कुछ रोगियों को कृत्रिम हृदय सहायक उपकरणों पर रखा जा सकता है। इसी प्रकार अन्यी अंगों के लिए मानदण्डं अलग अलग हैं, जिन्हेंण कुछ समय के लिए चिकित्सा उपचार पर रखा जा सकता है।
हां , आप प्रतीक्षा सूची में अपनी स्थिति जान सकते हैं, क्योंलकि यह एक पारदर्शी प्रणाली है। किंतु इससे आपको कोई मदद नहीं मिलेगी, क्योंतकि एक अंग का मिलना केवल प्रतीक्षा सूची की संख्या के अलावा अन्यी अनेक कारकों पर निर्भर करता है।
हां, यह बेहतर है कि आप मानसिक रूप से तैयार रहें और तत्काजल अंग प्रत्याररोपण के लिए कुछ धनराशि रखें। ज्यादातर शव प्रत्यारोपण के मामले तात्कालिक आधार पर होते हैं। यही कारण है कि आपको शव प्रत्याररोपण के लिए जांचों की अद्यतन जानकारी हर समय होनी चाहिए, ताकि आपको जब भी कॉल प्राप्तो होती है आप अंग प्राप्त कर सकते हैं। मृत शरीर का अंग एक उपहार है और इसे खोना नहीं चाहिए।
नहीं, प्रत्याकरोपण के लिए आने वाले कॉल का अर्थ यह नहीं है कि आपको निश्चित रूप से अंग मिल जाएगा। प्रत्याररोपण दल इसके प्रत्यावरोपण हेतु आपकी तत्काकल फिटनेस की जांच करेगा। इसकी संभावना है कि प्रत्याररोपण के ठीक पहले की गई जांच आपको प्रत्या रोपण के लिए सामान्यभ नहीं दर्शाती है पुन: एक से अधिक रोगियों को संभावित प्रत्यािरोपण के लिए बुलाया जा सकता है और इसकी संभावना है कि उस विशेष अंग प्रत्या रोपण के लिए दूसरे व्ययक्ति को आपकी तुलना में अधिक फिट पाया जाता है।
नहीं, मृत अंग दान कार्यक्रम में हमेशा गोपनीयता बनाए रखी जाती है, यह जीवित दाताओं के मामले से अलग है जो आम तौर पर पहले से एक दूसरे को जानते हैं।यदि परिवार चाहता है तो उन्हेंप उस व्यकक्ति की आयु और लिंग जैसे कुछ संक्षिप्तद विवरण बता दिए जाते हैं जिसे दान पाने से लाभ हुआ है। जिन रोगियों को अंग प्राप्त होते हैं वे अपने दाताओं के बारे में समान प्रकार के विवरण प्राप्तो कर सकते हैं। यह हमेशा संभव नहीं है कि ऊतक प्रत्याारोपण के कुछ प्रकारों में दाता को ग्राही की जानकारी प्रदान की जाए। जो लोग बेनाम रहना चाहते हैं वे अपने धन्यकवाद पत्र या शुभकामनाएं प्रत्याररोपण समन्व यक के माध्यनम से भेज सकते हैं। कुछ मामलों में दाता परिवारों और ग्राहियों ने मिलने की व्यावथा जो की है।
प्रोटोकोल के अनुसार, जिन रोगियों को मृत अंग की जरूरत होती है, उन्हेंि प्रतीक्षा सूची में रखा जाता है। किंतु भारत में अंगों की आवश्यगकता वाले रोगियों की संख्या उपलब्धन अंगों की तुलना में बहुत अधिक है।इसमें दो प्रकार की प्रतीक्षा सूचियां हैं; एक तत्का्ल प्रतीक्षा सूची और दूसरी नियमित प्रतीक्षा सूची। मृत अंग प्रत्याेरोपण के लिए रोगियों की तात्कातलिक प्रतीक्षा सूची प्राथमिक तौर पर चिकित्सात मानदण्डों अर्थात रोगी की आवश्यगकता के अंगों को तात्का लिक आधार पर बनाई जाती है अन्याथा वह जीवित नहीं रहेगा। नियमित प्रतीक्षा सूची भी चिकित्सा मानदण्डों पर आधारित होती है और ये मानदण्डय विभिन्न अंगों के लिए अलग अलग होते हैं। उदाहरण के लिए गुर्दा प्रत्याडरोपण के लिए मुख्यए मानदण्डै नियमित डायालिसिस पर लगने वाला समय है। इसी प्रकार अन्यऔ अंगों के लिए मानदण्डर अलग अलग होते हैं।
इन अंगों को सबसे पहले राज्य के अंदर वितरित किया जाएगा और यदि कोई मिलान नहीं पाया जाता है तो इन्हेंर पहले क्षेत्रीय और फिर राष्ट्रीाय स्तलर पर प्रस्तािवित किया जाएगा, जब तक ग्राही नहीं मिल जाता। दाता के अंगों का इस्तेऔमाल करने के सभी प्रयास किए जाएंगे।चना सिखाने का एक प्रधान साधन बने रहते हैं।
एक सफल अंग प्रत्यारोपण सुनिश्चित करने के लिए कई चिकित्सा कारकों का मिलान करने की जरूरत होती है। रक्तक समूह एक प्रमुख कारक है जिसे विचार में लिया जाता है। दाता और ग्राहियों के अंगों के साइज पर भी विचार किया जाता है। गुर्दों के लिए एक अन्यज महत्व पूर्ण कारक ऊतक मिलान है, जो रक्त समूह के मिलान के अलावा अधिक जटिल होता है और इसमें अधिक समय भी लगता है। यदि गुर्दे का सही मिलान हो जाता है तो सर्वोत्तम परिणाम मिल सकते हैं।एक अंग प्रत्यारोपण के लिए इंतजार कर रहे मरीजों की एक स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय कम्प्यूटरीकृत सूची है। अधिकांश समय कंप्यूोटर द्वारा एक विशेष अंग के लिए रोगी का सर्वोत्तम मिलान ज्ञात किया जाता है और प्रत्याररोपण इकाई को इस अंग का प्रस्तासव भेजा जाता है जो उस रोगी का इलाज कर रही है। साथ ही उन रोगियों को प्राथमिकता दी जाती है जिन्हें प्रत्याहरोपण की तत्कािल आवश्यिकता है। NOTTO द्वारा प्रतीक्षा सूची और अंग आबंटन प्रणाली का रखरखाव किया जाता है। यह पूरे वर्ष हर समय कार्य करता है। ऊतकों के मामले में आम तौर पर आवश्यखक नहीं होता है।
मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के अनुसार, अंगों के आबंटन का क्रम इस प्रकार होगा : राज्य् सूची – क्षेत्रीय सूची – राष्ट्री य सूची – भारतीय मूल के व्यअक्ति – विदेशी।
जीवित दाता संबंधित प्रत्यारोपण
जीवित दाता अर्थ है अपने जीवन के दौरान एक व्यक्ति (एक गुर्दे शरीर के कार्यों को बनाए रखने के लिए सक्षम है) एक गुर्दा दान कर सकते हैं, अग्न्याशय के एक हिस्से (अग्न्याशय के आधे से अग्नाशय के कार्यों को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है) और यकृत का एक हिस्सा (यकृत के हिस्‍से एक समय अवधि के बाद दोबारा बन जाएंगे)।
हां, जीवन के दौरान केवल कुछ अंगों का दान किया जा सकता है। एक जीवित व्‍यक्ति द्वारा दान दिया जाने वाला सबसे सामान्‍य अंग गुर्दा है, क्‍योंकि एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति केवल एक कार्यशील गुर्दे के साथ पूरी तरह सामान्‍य जीवन बिता सकता है। जीवित दाताओं से प्रत्‍यारोपित किए गए गुर्दों की तुलना में मृत दाता से प्रत्‍यारोपित किए गए गुर्दे की उत्तर जीविता के बेहतर अवसर होते हैं। भारत में वर्तमान में प्रत्‍यारोपित किए जाने वाले सभी गुर्दों में लगभग 90 प्रतिशत जीवित दाता से होते हैं।गुर्दे के अलावा, यकृत के हिस्‍से को भी प्रत्‍यारोपित किया जा सकता है और फेफडे़ के एक छोटे हिस्‍से को भी दान देना संभव है, और बहुत कम संख्‍या में छोटी आंत का हिस्सा भी दान किया जा सकता है। जीवित दाता प्रत्‍यारोपण के सभी मामलों में दाता के जोखिम पर बहुत सावधानी पूर्वक विचार करना चाहिए। एक जीवित दाता द्वारा प्रत्‍यारोपण से पहले कुछ कठोर नियम पूरे करने होते हैं और आकलन तथा चर्चा की एक गहरी प्रक्रिया से गुजरना होता है।
जीवित निकट संबंधित दाता: आम तौर पर केवल तत्काल रक्त संबंधों को दाताओं के रूप में स्वीकार किया जाता है अर्थात् माता-पिता, भाई बहन, बच्चे, दादा दादी और नाती (टीएचओए अधिनियम 2014)। पत्‍नी को भी निकट रिश्तेदार की श्रेणी में आने वाले एक दाता के रूप में स्वीकार किया जाता है और एक दाता होने की अनुमति दी जाती है।
जीवित गैर – निकट संबंधित दाता: प्राप्तकर्ता या रोगी के निकट रिश्तेदार के अलावा हैं। वे केवल प्राप्तकर्ता के प्रति स्नेह और लगाव के कारण या किसी अन्य विशेष कारण के लिए दान कर सकते हैं।
स्वैप दाता : उन मामलों में, जीवित निकट रिश्तेदार दाता प्राप्तकर्ता के साथ मेल नहीं कर पाते हैं, इस तरह के दो जोड़ों के बीच दाताओं की स्वैपिंग के लिए प्रावधान मौजूद हैं जहां पहली जोड़ी के दाता दूसरी जोड़ी के दूसरे प्राप्तकर्ता और पहले प्राप्तकर्ता दूसरे दाता के साथ मेल खाते हैं। इसकी अनुमति केवल दाताओं के रूप में निकट रिश्तेदारों के लिए है।
हां, जीवित अंग दान के लिए उम्र की कुछ सीमा है। जीवित दान 18 वर्ष की आयु के बाद किया जाना चाहिए।
संभावित रिश्‍तेदार दाता होते हैं, जो अन्‍यथा इसके इच्‍छुक होते हैं, किंतु रक्‍त समूह में मिलान नहीं होने के कारण या अन्‍य किसी चिकित्‍सा कारण से उस विशेष ग्राही को परिवार के व्‍यक्ति का अंग दान करना उचित नहीं होता है। पुन: एक अन्‍य समान पारिवारिक स्थिति में भी ऐसा हो सकता है। तथापि, इन दो परिवारों में, एक परिवार के दाता अन्‍य परिवार के ग्राही के लिए चिकित्‍सा की दृष्टि से उपयुक्‍त हो सकते हैं और इसके विपरीत स्थिति हो सकती है। तब ये दोनों परिवार आपस में मिलते हैं और अलग अलग परिवारों के इन दो ग्राहियों के लिए अंग प्रत्‍यारोपण संभव हो जाता है। इसे 'स्वैप दान' प्रत्यारोपण कहा जाता है। स्वैप प्रत्‍यारोपण कानूनी तौर पर THO (संशोधित) अधिनियम 2012 में अनुमत है।
नहीं, यह जीवित दान कार्यक्रम का बुनियादी सिद्धांत है कि व्‍यक्ति दान करने के बाद अपने शेष जीवन में पूरी तरह स्‍वस्‍थ बना रहता है। इस प्रकार, दाता किसी भी उद्देश्य के लिए चिकित्सकीय दृष्टि से अयोग्य नहीं होता है। तथापि, ऐसी स्थिति में, जीवित अंग दाता के साथ कुछ अलग तरीके से व्यवहार किया जाता है। जैसे कि सशस्त्र सेना बलों में एक अंग दाता को सामान्‍य नहीं माना जाता और दाता के सामने नौकरी में पदोन्‍नति आदि से संबंधित मामलों में कुछ मुद्दे उठते हैं।
कोई जीवित व्‍यक्ति अपने नजदीकी रिश्‍तेदार के अलावा प्रेम वश और जुड़ाव के कारण किसी ग्राही व्‍यक्ति को अंग का दान कर सकता है या किसी अन्‍य विशेष कारण से भी ऐसा किया जा सकता है। ऐसे मामलों में, इसे अस्पताल की प्राधिकार समिति द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए, जहां प्रत्यारोपण किया जा रहा है। प्राधिकार समिति का अनुमोदन रिश्‍तेदार को शामिल करने के मामलों के अलावा अन्‍य सभी मामलों में अनिवार्य है। उक्‍त प्राधिकार समिति यदि अस्‍पताल में मौजूद नहीं है तो इसे जिले के संबंधित जिला या राज्य स्तर प्राधिकरण समिति द्वारा (या राज्य, यदि जिला स्तर पर कोई समिति नहीं है), जहां प्रत्यारोपण अस्पताल स्थित है, अनुमोदित किया जाता है।
मृतक दाता संबंधित प्रत्यारोपण
ऑक्‍सफोर्ड डिक्‍शनरी के अनुसार ''मृत'' को मृत मानव शरीर के रूप में परिभाषित किया गया है। ''मृत'' शब्‍द को चिकित्‍सा की दृष्टि से विच्‍छेदन और अध्‍ययन में उपयोग किया जाता है। अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में, ''मृत'' का अर्थ है धड़कते हुए हृदय के साथ जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया मस्तिष्‍क मृत शरीर।
एक व्यक्ति ब्रेन स्टेम मौत के बाद कई अंग और ऊतक दान कर सकता है। उसके अंग किसी और व्‍यक्ति में जीवित बने रहते हैं।
यदि विभिन्न अंग और ऊतक चिकित्सकीय रूप से फिट स्थिति में हैं, तो निम्न अंगों और ऊतकों का दान किया जा सकता है:
अंग- ऊतक
दोनों गुर्दे- दो कॉर्निया
यकृत- त्वचा
हृदय -हृदय वाल्व
दो फेफड़े- कार्टिलेज/ उपास्थि / स्नायुबंधन
आंत -हड्डियां / कण्डरा
अग्न्याशय- वेसल्स
ब्रेन स्टेम मौत के कारण अपरिवर्तनीय क्षति के लिए ब्रेन स्टेम के कार्य की समाप्ति है। यह एक अपरिवर्तनीय स्थिति है और इसमें व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इसे भारत में मस्तिष्क मृत्यु भी कहा जाता है।एक ब्रेन स्टेम से मृत व्यक्ति अपने आप साँस नहीं ले सकता है; हालांकि हृदय में एक इनबिल्ट तंत्र होता है जिससे यह लंबे समय से ऑक्सीजन और रक्त की आपूर्ति होने तक पंप करता है। एक वेंटीलेटर ब्रेन स्टेम मृत व्यक्तियों के फेफड़ों में हवा में डालना जारी रखता है, उनके हृदय में ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करना जारी रहता है और उनके रक्तचाप को बनाए रखने के लिए दवा दी जा सकती है। हृदय ब्रेन स्टेम की मौत के बाद एक समय अवधि तक धड़कना जारी रहेगा - इसका अर्थ यह नहीं है कि यह व्यक्ति जीवित है, या इसके दोबारा जीवित हो जाने का कोई मौका है।ब्रेन स्टेम मौत की घो‍षणा स्‍वीकृत चिकित्‍सा मानकों के साथ की जाती है। इस पैरामीटर में तीन क्लिनिकल प्राप्तियों पर बल दिया जाता है जो ब्रेन स्टेम सहित पूरे मस्तिष्‍क के सभी कार्यों के अपरिवर्तनीय रूप से समाप्‍त हो जाने के लिए अनिवार्य है : कोमा (बेहोशी) एक ज्ञात कारण के साथ, मस्तिष्क सजगता का अभाव, और एपनिया (सहज साँस लेने की अनुपस्थिति) है। इन जांचों को चिकित्‍सा विशेषज्ञों के दल द्वारा कम से कम 6 – 12 घण्‍टों के अंतर पर दो बार किया जाता है। ब्रेन स्टेम मौत को THOA 1994 के बाद से स्वीकार कर लिया गया है।
हां, THOA 1994 के अनुसार ब्रेन स्टेम मौत को कानूनी तौर पर मौत के रूप में स्वीकार किया जाता है।
टीएचओए बोर्ड के अनुसार निम्नलिखित चिकित्सा विशेषज्ञ मिलकर ब्रेन स्टेम मौत को प्रमाणित करेंगे :
1. अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर (चिकित्सा अधीक्षक)।
2. डॉक्टर को उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा नियुक्त डॉक्टरों के एक पैनल से नामांकित किया जाता है।
3. न्यूरोलॉजिस्ट / न्यूरोसर्जन / इन्टेंसिविस्ट उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा नियुक्त एक पैनल से नामित किया है।
4. रोगी का इलाज करने वाला डॉक्‍टर। चार डॉक्टरों का पैनल मस्तिष्क मृत्यु प्रमाणित करने के लिए एक साथ परीक्षण करता है।
डॉक्‍टर (इन्टेंसिविस्ट / न्यूरोलॉजिस्ट / न्यूरोसर्जन) जो रोगी का इलाज करते हैं, वे ब्रेन स्‍टेम मौत के बारे में परिवार को समझाएंगे।
प्रत्यारोपण समन्वयक या आईसीयू के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ से संपर्क कर सकते हैं।
मस्तिष्‍क की मृत्‍यु की पुष्टि 6 घण्‍टे के अंतर पर दो बार किए गए परीक्षण से होती है। जब अंगदान के लिए एक बार सहमति प्राप्‍त हो जाती है तो अंग प्राप्ति की प्रक्रिया के समन्‍वय में लगता है। मृत दाता से अंग प्राप्ति में कई अस्‍पताल शामिल होते हैं और प्रत्‍यारोपण दल यह सुनिश्चित करता है कि दान किए गए अंग ग्राही के साथ अधिकतम संभव तरीके से मिलान वाले हों। यदि यह मेडिको लीगल मामला है तो पोस्‍ट मॉर्टम किया जाता है और इसमें पुलिस तथा फोरेंसिक मेडिसिन विभाग शामिल होते हैं।
स्वस्थ अंग को जल्द से जल्द प्रत्यारोपित किया जाना चाहिए। विभिन्‍न अंगों को अलग अलग समय के अंदर प्रत्‍यारोपित किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं :
हृदय 4-6 घंटे
फेफड़े 4-8 घंटे
यकृत 6-10 घंटे
यकृत 12-15 घंटे
अग्न्याशय 12-24 घंटे
गुर्दे 24-48 घंटे
आपके जीवित अंगों का प्रत्‍यारोपण उन व्‍यक्तियों में किया जाएगा जिन्‍हें इसकी तत्‍काल बहुत अधिक जरूतर है। जीवन का उपहार (अंग) ग्राही के साथ मिलान करने के बाद चिकित्‍सीय उपयुक्‍तता के आधार पर, प्रत्‍यारोपण की तात्‍कालिकता, प्रतीक्षा सूची की अवधि और भौगोलिक स्‍थान पर निर्भर करता है।NOTTOतथा इसकी राज्‍य इकाइयां(ROTTO एण्‍ड SOTTO) हर समय हर दिन पूरे वर्ष कार्य करेंगी और पूरे देश को कवर करेंगी। इसके ऊतकों का मिलान बहुत कम होता है, उदाहरण के लिए ऊतक का साइज और प्रकार, अन्‍यथा यह प्रत्‍यारोपण की जरूरत वाले प्रत्‍येक रोगी के लिए सहजता से उपलब्‍ध होता है।
एक व्‍यक्ति जिसके पास कानूनी तौर पर मृत व्‍यक्ति की जिम्‍मेदारी है, वह सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर कर सकता है। आम तौर पर यह माता पिता, पति या पत्नी, बेटे / बेटी या भाई / बहन द्वारा किया जाता है।सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर से परिवार यह कहता है कि उन्‍हें अपने प्रिय जन के शरीर से अंगों को निकालने पर कोई आपत्ति नहीं है। यह एक कानूनी दस्‍तावेज है। इस पत्र को अस्‍पताल में रखा जाता है।
तो उपचार नैदानिक स्थिति के अनुसार ही किया जाएगा। अंग दान की प्रक्रिया को आपके उपयुक्‍त इलाज के साथ कभी नहीं जोड़ा जाता है। ये दो अलग अलग इकाइयां है। एक दल दान के लिए पूरी तरह अलग से कार्य करता है। इसके साथ प्रत्‍यारोपण ऑपरेशन में शामिल डॉक्‍टरों को कभी भी संभावित दाता के परिवार की दान प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता है।
हां, यह स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवसायिक का कर्तव्‍य है कि वह रोगी के जीवन को बचाए। सभी प्रयासों के बावजूद यदि रोगी की मौत हो जाती है तो उसके अंग और ऊतक दान पर विचार किया जा सकता है तथा पुन: प्राप्ति और प्रत्‍यारोपण विशेषज्ञों के पूरी तरह अलग अलग दल इसके लिए कार्य करेंगे।
नहीं, यदि आपके पास दाता कार्ड है तब भी आपके परिवार के नजदीकी सदस्‍यों और घनिष्‍ठ संबंधियों से अंगों और ऊतकों के दान के लिए पूछा जाएगा। मृत शरीर के विषय में कानूनी तौर पर इससे संबंध रखने वाले व्‍यक्तियों की सहमति अनिवार्य है, इसके बिना दान नहीं कराया जा सकता है। यदि वे इसके लिए मना कर देते हैं तो अंग दान नहीं किया जाएगा।
नहीं। किसी भी अंग और ऊतक को तब तक स्‍वीकार नहीं किया जा सकता जब तक इन्‍हें स्‍वतंत्र रूप से दान नहीं दिया जाता। इसमें ऐसी कोई परिस्थिति नहीं है कि इन्‍हें संभावित ग्राहियों की शर्तों के अनुसार स्‍वीकार किया जाए। आप खास तौर पर अंग और / या ऊतक के विशिष्‍ट रूप से दान की इच्‍छा होने पर इसे व्‍यक्‍त कर सकते हैं, जिन्‍हें आप दान देना चाहते हैं।
नहीं। संभावित अंग दाता के परिवार के लिए कोई अतिरिक्‍त प्रभार नहीं होता है। संभावित दाता को चिकित्‍सा की दृष्टि से दान होने के समय तक आईसीयू में रखने की जरूरत होती है। जब परिवार अंग और ऊतक दान के लिए सहमत हो जाता है तो इसके सभी प्रभार इलाज करने वाले अस्‍पताल द्वारा वहन किए जाते हैं और दाता परिवार को कोई खर्च नहीं करना होता है।
नहीं। अंग या ऊतक निकालने से पारंपरिक दाह संस्‍कार या दफनाने की व्‍यवस्‍था में कोई बाधा नहीं आती है। शरीर की बनावट में कोई बदलाव नहीं होता है। एक अत्‍यंत कुशल सर्जरी प्रत्‍यारोपण दल अंगों और ऊतकों को निकालता है, जिन्‍हें अन्‍य रोगियों में प्रत्‍यारोपित किया जा सकता है। सर्जन शरीर को सावधानी पूर्वक सिल देते हैं, अत: कोई विकृति नहीं होती है। शरीर को मृत्‍यु और अंतिम संस्‍कार के लिए ले जाया जा सकता है और इसमें कोई विलंब नहीं होता।
नहीं। इसे केवल व्‍यक्ति के मस्तिष्‍क की मृत्‍यु अस्‍पताल में होने पर घोषित किया जाता है और उसे वेंटिलेटर तथा अन्‍य जीवन सहायक प्रणालियों पर तुरंत रख दिया जाता है। घर पर मृत्‍यु के बाद केवल आंखों और कुछ ऊतकों को ही निकाला जा सकता है।
इन अधिकांश स्थितियों में, परिवार अंग का दान करने के लिए सहमत हो जाते हैं, यदि उन्‍हें पता होता है कि यह उनके प्रिय जन की इच्‍छा थी। यदि मरने वाले व्‍यक्ति के परिवार या इनके घनिष्‍ठ संबंधी को अंग दान देने से आपत्ति है और मृत व्‍यक्ति की ओर से किसी रिश्‍तेदार, नजदीकी दोस्‍त या क्लिनिकल कर्मचारी को इसकी अनुमति विशेष रूप से दी गई हो या उसके पास दाता कार्ड हो या उसनेNOTTOवेबसाइट पर अपनी इच्‍छा दर्ज कराई हो, तो स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल व्‍यावसायिक संवेदनशील तरीके से परिवार के लोगों से इसकी चर्चा करेगा। उन्‍हें मृत व्‍यक्ति की इच्‍छा को स्‍वीकार करने का प्रोत्‍साहन दिया जाएगा। किंतु यदि फिर भी परिवार को आपत्ति है तो दान की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जाएगी और दान नहीं होगा।
हां, हृदय धड़कने वाले दाता का अर्थ है कि रोगी की मस्तिष्‍क मृत्‍यु घोषित की गई है और उसके अंगों को तब निकाला जा सकता है जब सहायक युक्तियों के साथ उसका हृदय धड़क रहा है। धड़कते हुए हृदय से अंगों को रक्‍त की आपूर्ति जारी रखी जाती है और अंगों में रक्‍त की कम आपूर्ति से कोई नुकसान नहीं होता है। हृदय की मृत्‍यु के बाद दान के मामले में, जब हृदय ने धड़कना बंद कर दिया है और अंगों में रक्‍त की आपूर्ति नहीं होती है। इस कारण हृदय की मृत्‍यु के बाद होने वाले दान तुरंत किए जाने चाहिए, क्‍योंकि रक्‍त की आपूर्ति के बिना एक निश्चित समय अवधि के बाद अंगों का इस्‍तेमाल करना संभव नहीं होगा।
ठोस अंग दान (हृदय, फेफड़े, यकृत, अग्न्याशय, गुर्दे) के लिए इन अंगों में निरंतर रक्‍त का परिसंचरण बनाए रखने की जरूतर होती है जब तक इन्‍हें निकाल नहीं जाता। यह मस्तिष्‍क मृत्‍यु के मामले में संभव है जहां इन अंगों को कुछ समय तक सहायता देकर कार्य करने की स्थिति में रखा जा सकता है। जबकि हृदय की मृत्‍यु के बाद भी अंग निकाले जा सकते हैं, बशर्ते समय का अंतराल कम से कम हो।
कानूनी और नैतिक मुद्दे
केंद्र सरकार ने मानव अंग और ऊतक को निष्काएसन और संग्रहण के लिए एक राष्ट्रीय नेटवर्क स्था्पित किया है, जिसका नाम एनओटीटीओ(NOTTO)है, जिसका अर्थ है राष्ट्रीय मानव अंग और ऊतक को निष्काओसन और संग्रहण नेटवर्क। NOTTO के पांच क्षेत्रीय नेटवर्क हैं (ROTTO)और देश के प्रत्येकक क्षेत्र में प्रत्येाक राज्या / संघ राज्ये क्षेत्र मेंSOTTO (राज्य मानव अंग और ऊतक प्रत्यापरोपण संगठन) विकसित किया जाएगा। देश के प्रत्येरक अस्प)ताल में प्रत्याारोपण गतिविधि, चाहे इसका संग्रह या प्रत्याTरोपण हो, यह एक राष्ट्री्य नेटवर्क के भाग के रूप में ROTTO / SOTTO के जरिए NOTTO से जुड़ा है
अंग दान और प्रत्यारोपण के लिए राष्ट्रीय पंजीकरण इस प्रकार है: -
1. अंग प्रत्यारोपण पंजीकरण:
अंग प्रत्यारोपण पंजीकरण में प्रत्याेरोपण (अंग / अस्पकताल वार प्रतीक्षा सूची), दाता (जीवित दाता सहित संबंधित दाता, निकट संबंधियों के अलावा दाता, स्वैप दाता और मृतक दाता की) अस्पतालों, प्राप्तकर्ता और दाता के अनुवर्तन के विवरण आदि की जानकारी और सभी पुनर्प्राप्ति और प्रत्यारोपण केंद्रों से आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। आंकड़ों को संग्रह वरीयता वेब आधारित इंटरफेस या जमा किए गए कागजों के जरिए किया जाएगा और यह जानकारी विशिष्टब अंग वार और समेकित फॉर्मेट दोनों में रखी जाएगी। अस्पाताल या संस्थाटन उस अस्पाताल या संस्थानन में किए गए प्रत्यासरोपणों की कुल संख्याक के साथ प्रत्ये क प्रत्याबरोपण के उचित विवरण अपनी वेबसाइट पर नियमित रूप से अपडेट करेंगे और इन आंकड़ों को संकलन, विश्लेउषण तथा उपयोग के लिए संबंधित राज्यअ सरकारों और केंद्र सरकार के अधिकृत व्यकक्तियों द्वारा लिया जा सकेगा।
2. अंग दान पंजीकरण:
अंग दान पंजीकरण में दाता (जीवित और मृत दोनों) की जन संख्यां सूचना, अस्पेताल, लंबाई और वज़न, पेशा, मृत दाता के मामले में मृत्यु का प्राथमिक कारण, इससे जुड़ी चिकित्सा् बीमारियों, संगत प्रयोगशाला जांचों, दाता अनुरक्षण विवरण, ड्राइविंग लाइसेंस या दान की प्रतिज्ञा के अन्य् दस्ताशवेज, उनके द्वारा अनुरोध किए गए दान, प्रत्याारोपण समन्व यक, प्राप्ती अंग या ऊतक, दान किए गए अंग या ऊतक के परिणाम, ग्राही के विवरण आदि होंगे।
3. ऊतक पंजीकरण:
ऊतक पंजीकरण में ऊतक दाता, ऊतक पुनर्प्राप्ति या दान, मृतक दाता के मामले में मौत का प्रमुख कारण, दाता रखरखाव विवरण ब्रेन स्टेम मृत दाता, इससे जुड़ी चिकित्सा बीमारियों, प्रासंगिक प्रयोगशाला परीक्षण, ड्राइविंग लाइसेंस या किसी अन्य दस्तावेज़ वचन दान के मामले में, जिनके द्वारा दान का अनुरोध किया गया, सलाहकारों की पहचान, लिए गए ऊतक या अंग, ऊतक प्राप्तकर्ता के बारे में जनसांख्यिकीय डेटा, गंभीर रोगियों के लिए प्रत्यारोपण करने वाले अस्पताल, प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची और प्राथमिकता सूची का रखरखाव, यदि इसमें प्रत्यारोपण, प्रत्यारोपित ऊतक के परिणाम, आदि का संकेत है, के विवरण आदि होंगे।
4. अंग दाता प्रतिज्ञा पंजीकरण:
राष्ट्री य अंग दाता रजिस्ट्र एक कंप्यूकटर डेटा बेस है, जिसमें उन लोगों की इच्छा एं दर्ज की जाती है, जिन्होंरने अपने ऊतकों और अंगों के दान की प्रतिज्ञा ली है। व्यजक्ति अपने जीवन के दौरान ही अपनी मृत्युो के बाद अपने ऊतकों या अंगों के दान की प्रतिज्ञा ले सकते हैं और इसके लिए प्रपत्र 7 भरना होता है जिसे ऑनलाइन या कागज के रूप में संबंधित नेटवर्किंग संगठन में जमा किया जा सकता है और प्रतिज्ञा लेने वाले व्यक्ति के पास सूचना देकर अपनी प्रतिज्ञा वापस लेने का विकल्प होता है।
ऐसे अनेक अस्प ताल और संगठन हैं जहां उन व्याक्तियों की सूची रखी गई है जो उनके साथ अंग दान करने की प्रतिज्ञा लेते हैं जिन्हें राष्ट्री य अपने ऊतक और अंग प्रत्यारोपण संगठन में राष्ट्रीय रजिस्टार में भेजा जाएगा।
कानून के तहत अंग प्रत्याेरोपण और दान की अनुमति दी जाती है और इसे 'मानव अंग प्रत्याेरोपण अधिनियम, 1994'' के तहत कवर किया गया है, जिसमें जीवित और मृत मस्तिष्कह दाताओं द्वारा अंग दान की अनुमति दी गई है। वर्ष 2011 में अधिनियम के संशोधन के जरिए मानव ऊतकों के दान को इसमें शामिल किया गया है और इस प्रकार संशोधित अधिनियम ''ऊतकों और अंगों के प्रत्याकरोपण अधिनियम 2011'' कहलाता है।
पवर्तमान परिदृश्यय में ठोस अंगों की मांग आवश्ययकता पूरी करने से बहुत दूर है, अत: लोग अपने प्रिय जनों का जीवन बचाने के लिए अलग अलग तरीकों से इसे पूरा करते हैं। अनेक दृष्टां तों में, जीवित दान वाणिज्यिकृत हो गया है, खास तौर पर जीवित असंबंधित समूहों में। यह एक विवादास्पोद मुद्दा है। गरीब और जरूरत मंद लोगों का शोषण होता है, वे पैसे के बदले अपने अंग बेच देते हैं और वे सर्जरी तथा ऑपरेशन के बाद होने वाली देखभाल की गंभीरता को नहीं समझते, जो की गई है। यह देखा जाता है कि आम तौर पर विकसित देशों के लोग प्रत्यांरोपण के लिए विकासशील देशों में रोगियों को लेकर आते हैं।
नहीं। मानव अंग प्रत्याैरोपण अधिनियम (THOA) के अनुसार किसी भी प्रकार से अंगों की बिक्री / खरीद दण्डरनीय है और इसमें कोई उल्लेखखनीय वित्तीय तथा न्याियिक दण्डे दिया जा सकता है। न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के अन्यी हिस्सोंय में भी किसी अंग की बिक्री की अनुमति नहीं है।
गलत रिकॉर्ड जमा करने या अन्य‍ किसी उल्लंयघन के मामले की रिपोर्ट राज्य सरकार के उपयुक्त प्राधिकारी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में की जानी चाहिए। किसी भी अस्पताल, प्राधिकरण समिति या राज्यि के उचित प्राधिकरण में किसी व्यएक्ति से संपर्क किया जा सकता है। उचित प्राधिकरण द्वारा उस व्य क्ति के खिलाफ मामला दायर किया जा सकता है। संशोधित मानव अंग प्रत्यादरोपण अधिनियम (टीएचओए) के अनुसार इसके लिए निम्नाकनुसार अपराध / दण्ड् की व्यधवथा( के है :

अपराध  ( टीएचओ   अधिनियम  2011 संशोधन )

कारावास

जुर्माना

प्राधिकार के बिना अंगों को निकालना

10 वर्ष

20 लाख रु.

आरएमपी के लिए जुर्माना  प्राधिकार के बिना अंगों को निकालना

पहला अपराध : 3  साल के लिए पंजीकरण समाप्

दूसरा अपराधस्थायी पंजीकरण समाप्

अंगों का वाणिज्यिक लेन-देनदस्तावेजों का मिथ्याकरण

5 - 10  वर्ष

20 लाख  - 1  करोड़ रुपए

टीएचओए का कोई उल्लंघन

वर्ष

20 लाख रु.

डॉक्टपरों को इसके मामले में दाताओं के संभावित भावनात्म क / वित्तीय शोषण को लेकर चिंता है जो ग्राही के परिवार के लोग और प्रत्यांरोपण करने वाले अस्पकताल करते हैं। उन्हेंक यह भी चिंता है कि अंगों की बढ़ती मांग के साथ निर्धन दाताओं को सम्मा न के साथ जीवित रहने के अधिकार को ठुकराया जा सकता है।
प्रत्याकरोपण अस्पतताल छानबीन की उचित प्रणाली और सभी अनुप्रयोगों की संवीक्षा के लिए अस्पताल / जिला / राज्य में इसकी उचित व्यअवस्थाय होती है। आज जीवित असंबंधित दान अधिक पारदर्शी और सुचारु बन गया है।
जरुरी अनुरोध मृत दाता प्रत्यायरोपण के लिए व्यकक्ति की सहमति पाने का एक तरीका है। कोई भी व्यअक्ति जो अपने अंगों और ऊतकों को अपनी मृत्युत के बाद दान करने का इच्छुरक है तो उसे यह प्रतिज्ञा लेनी होती है कि उसकी मौत के बाद उसके अंगों का इस्ते माल प्रत्याुरोपण और अन्यय लोगों का जीवन बचाने में किया जा सके।
मृत्यु के समय अस्पनताल के कर्मचारी मृत व्य क्ति के परिवार से संपर्क करते हैं और अपने प्रिय जन के अंग और ऊतक दान देकर अन्य लोगों का जीवन बचाने का अनुरोध करते हैं। इस तरीके को ''विकल्प'' मार्ग भी कहते हैं।
परिकल्पित सहमति मार्ग में अंग दान के लिए मृत्यु के समय प्रत्ये क व्यतक्ति को सहमत होना चाहिए, जब तक उस व्यगक्ति ने अपने जीवन काल के दौरान यह निर्णय नहीं लिया हो कि वह अपनी मृत्युह के बाद अंगों एवं ऊतकों का दान करने का इच्छुदक नहीं है। इस प्रणाली को भी ''विकल्पि हटाने'' की प्रणाली कहते हैं। दुनिया में ऐसे कई देश है, जहां लोगों ने अंग दान के लिए परिकल्पित सहमति का विकल्पो अपनाया है और वे मानते हैं कि परिकल्पित सहमति मार्ग से अंग दान की दर आम तौर पर बढ़ जाती है। जबकि सभी लोग इससे सहमत नहीं हैं। भारत में इस मार्ग को नहीं अपनाया जाता है।
सूचित सहमति ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी विशिष्ट‍ अंग और ऊतक का दान नहीं किया जाता। यह इस बात को पूरी तरह समझने पर आधारित एक करार है जो किया जाएगा और यह एक चिकित्सात उपचार के रूप में होगा। सूचित सहमति में जानकारी साझा की जाती है और चिकित्साक उपचार के संबंध में विकल्प। बनाने की स्वातंत्रता होती है और उसे समझा जाता है।
जब एक दुर्घटना के घायल व्यरक्ति को अस्परताल में आपातकालीन उपचार के लिए लाया जाता है तो परिवार की ओर से नजदीकी पुलिस थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है। आम तौर पर इन मामलों को मेडिको लीगल मामले कहते हैं। साथ ही किसी चिकित्साज उपचार (आत्मर हत्याम, दुव्य र्वहार, जहर पीने या गिर जाने के लिए), जिसके लिए पुलिस को सूचित करने की जरूरत होती है, इसे मेडिको लीगल मामला कहते हैं।
पुलिस द्वारा घटना की जानकारी प्राप्त की जाती है और मामले को देखा जाता है। एक फोरेंसिक डॉक्टीर रोगी की जांच करेगा और वह अंग प्राप्ति की अनुमति या अस्वीकृति देगा।
पुलिस विभाग को सूचित करना होता है कि यदि रोगी के मस्तिष्क की मौत हो गई है और यह एक मेडिको लीगल मामला है, किंतु मस्तिष्कष की मौत की घोषणा डॉक्टररों के एक पैनल द्वारा ही की जा सकती है।
हां। अंग प्रत्यारोपण के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीरय अंग और प्रत्‍यारोपण कार्यक्रम (एनओटीपी) आरंभ किया है, जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले रोगियों को प्रत्याटरोपण के खर्च के अलावा प्रत्याीरोपण के बाद एक वर्ष तक दवाओं का खर्च पूरा करने के लिए आर्थिक रूप से समर्थन दिया जाता है। इसके अलावा सभी सार्वजनिक अस्पोताल में गुर्दा प्रत्याटरोपण पर भारत सरकार की नीति के अनुसार सब्सिडी दी जाती है।
नहीं। भारत में, प्रतीक्षा सूची के ग्राहियों को अंग का आबंटन पहले से निर्धारित मानदण्डोंर पर आधारित है, जिसमें पंजीकरण की तिथि और चिकित्साा मानदण्डा शामिल होते हैं। एक व्यणक्ति की संपत्ति, नस्लं या लिंग से प्रतीक्षा सूची में उसके स्था न पर कोई प्रभाव नहीं होता और न ही यह तय होता है कि उस व्य्क्ति को अंग का दान किया जाएगा। मानव अंग प्रत्याारोपण अधिनियम 1994 में भारत में मानव अंगों की बिक्री या खरीद को गैर कानूनी बताया गया है।
आम तौर पर कोई विशेष अपील करने से कुछ अधिक व्यपक्ति दाता बनने के लिए सहमत हो जाते हैं और इस प्रकार अंग दान करने की शपथ लेने वाले लोगों की संख्याा बढ़ जाती है। जबकि, समाचार पत्रों और टेलीविजन के जरिए अपील करने वाले परिवारों को उस व्य क्ति के लिए तुरंत कोई अंग उपलब्धत नहीं होगा, जिसके लिए अपील की गई थी। रोगी अब भी प्रतीक्षा सूची में बना रहेगा, जैसे कि अन्य लोग हैं, और दाता अंगों को ग्राहियों के साथ मिलान करने और इनके आबंटन के नियमों को अब भी लागू किया जाता है।
अंग प्रत्या रोपण केवल एक जीवन रक्षक उपचार है। यह प्रत्या रोपण दल के लिए सर्वोत्तम निर्णय होता है कि वे एक जीवित व्यवक्ति से अंग निकालकर उसे दान के रूप में लगाते समय इन दो मुद्दों को ध्याएन में रखें कि इससे दाता को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए और यह ग्राही के लिए लाभकारी होना चाहिए। यह निर्णय केवल प्रत्यादरोपण दल ले सकता है कि क्याा रोगी को होने वाला लाभ दाता के सामने आने वाले जोखिम की तुलना में अधिक महत्वसपूर्ण है। प्रत्या रोपण दल दाता की रोग और मृत्युि दर को विचार में ले, जबकि इसका शुद्धता पूर्वक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।